1973 ईस्वी में मनी लांड्रिंग को नियंत्रण करने के लिए फेरा 1973 को सरकार के द्वारा लाया गया और यह कानून बहुत कठोर था इसमें जो भी MONEY-LAUNDERING में पकड़ा जाता था उसे एक गैर जमानत 7 साल की जेल हो जाती थी। इसका संशोधन 1993 ईस्वी में किया गया जिसमें कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए जिसमें हमारे विदेशी मुद्रा कोष में पर्याप्त वृद्धि विदेशी व्यापार में विकास, , परशुल्को का विवेकी कारण, चालू खाता परिवर्तनीयता, भारतीय निवेश का उदार विदेशी करण भारतीय निगमों द्वारा ECB की अधिक मांग और प्रतिभूति बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की सहभागिता बढ़ी।
उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उसमें लचीलापन लाना आवश्यक हो गया था इसीलिए फेरा 1973 को विलोपित करने संबंधी एक विधेयक लोकसभा में 4 अगस्त 1998 को रखा गया। जिसको स्थाई समिति (standing committee of finance) को संदर्भित कर दिया। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट कुछ सुधारों एवं सुझाव के साथ 23 दिसंबर 1998 को लोकसभा में प्रस्तुत की। इस समिति के सिफारिशों पर कोई भी निर्णय केंद्रीय सरकार द्वारा लिए जाने से पूर्व ही लोकसभा भंग हो गई, परिणामतः विधेयक कालातीत हो गया।
October 1999 में पुनः पार्लियामेंट में रखा गया उस समय वित्त मंत्री यशवंत सिंह थे फिर 2 दिसंबर 1999 में राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए और 1 जून 2000 से जम्मू कश्मीर सहित पूरे भारतवर्ष में लागू हो गया।
इसमें 7 अध्याय और 49 धाराएं हैं।
फेमा क्या है?
FEMA 1999 की प्रस्तावना में कहा गया है कि यह एक "विदेशी विनिमय संबंधी विधान में संशोधन एवं समेकेतीकरण का अधिनियम है। जिसका उद्देश्य विदेशी व्यापार एवं भुगतान को सुविधाजनक बनाना और भारत में विदेशी बिन में संबंधी बाजार का परिवर्तन क्रमागत विकास एवं अनुरक्षण है।
फेमा बहुराष्ट्रीय कंपनियों से संबंधित है इसका लक्ष्य भारत में व्यवस्थित विकास एवं विदेशी मुद्रा बाजार का रखरखाव करना है।
Different between FERA and FEMA in Hindi
Objective of FEMA
Characteristics of FEMA