व्यावसायिक पर्यावरण के संघटक (Components of Business Environment):
व्यावसायिक फर्म की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने पर्यावरण के विभिन्न संघटकों से किस प्रकार अन्तर्क्रिया करती है । यही कारण है कि फर्म का कार्य अपने पर्यावरण की सूक्ष्म जाँच कर इसके संघटकों तथा उनके परस्पर सम्बन्धों की पहचान करना एवं इनसे व्यवहार करने के लिए प्रभावी नीतियों को निर्माण करना है ।
इस प्रकार व्यावसायिक पर्यावरण उन समस्त पर्यावरणीय संघटकों का कुल योग है जो व्यावसायिक फर्म को उसका परिवेश प्रदान करता है ।
व्यावसायिक पर्यावरण में फर्म के आन्तरिक एवं बाह्य तत्व दोनों सम्मिलित होते हैं ।
जिनको निम्न रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है:
(I) आन्तरिक पर्यावरण (Internal Environment):
आन्तरिक पर्यावरण की निम्नलिखित विशेषताएँ व्यापक रूप में होती हैं:
1. इसमें व्यवसाय को प्रभावित करने वाले वे आन्तरिक तत्व शामिल होते हैं जो व्यवसाय के नियन्त्रण में रहते हैं ।
2. ये फर्म के आन्तरिक संगठनात्मक घटकों से निर्मित होता है जिन पर फर्म का स्वयं नियन्त्रण होता है । संक्षिप्त में आन्तरिक पर्यावरण संगठन के अन्दर ही पाए जाते हैं ।
3. व्यवसाय के आन्तरिक पर्यावरण में निम्नलिखित घटक महत्वपूर्ण माने जाते हैं:
i. व्यावसायिक लक्ष्य एवं उद्देश्य
ii. व्यावसायिक एवं प्रबन्धकीय नीतियाँ
iii. व्यावसायिक क्षमता एवं वृद्धि सम्भावनाएँ
iv. उत्पादन प्रणाली, अभिकल्पना, यन्त्र एवं तकनीकें
v. श्रम एवं प्रबन्ध की कुशलता व सक्षमता का स्तर
vi. व्यवसायिक योजनाएँ एवं व्यूह रचनाएँ
vii. व्यावसायिक प्रबन्ध सूचना प्रणाली एवं सम्प्रेषण व्यवस्था
viii. सामाजिक दायित्वों के प्रति दृष्टिकोण
ix. व्यावसायिक दृष्टि
x. कार्य का समग्र पर्यावरण
xi. वित्त व्यवस्था ।
आन्तरिक पर्यावरण में 5 Ms को भी शामिल किया जाता है – Man (मनुष्य), Material (सामग्री), Money (मुद्रा), Machinery (मशीनरी), व Management (प्रबन्ध) ।
4. यद्यपि आन्तरिक पर्यावरण नियन्त्रण योग्य है, लेकिन इसमें भी निरन्तर जटिलताएँ एवं बाधाएँ उत्पन्न होती रहती हैं । इसलिए व्यवसाय के आन्तरिक पर्यावरण की पहचान करना इसे पूर्णरूप से समझना व्यवसाय का प्रथम उत्तरदायित्व है ।
5. यद्यपि प्रबन्धक, संचालक व अधिकारी संस्था के आन्तरिक पर्यावरण के अंग होते हैं, परन्तु बाह्य पर्यावरण के सम्बन्ध में भी जानकारी प्राप्त करके व पर्यावरण में आ रहे परिवर्तनों को समय से विश्लेषित करके उनके अनुसार व्यवसाय की नीतियों में आवश्यक परिवर्तन करते रहते हैं ।
6. आन्तरिक पर्यावरण व्यवस्था (संस्था) की ताकत (Strength) व कमजोरियाँ (Weaknesses) को उजागर करते हैं । उदाहरण के लिए यदि संस्था के कर्मचारी कुशल व योग्य हैं तो ये कर्मचारी संस्था को नई ऊँचाईयों पर ले जा सकते हैं । इसके विपरीत यदि वे असन्तुष्ट हैं तो उनका मनोबल कम होता है जिसका संगठन के निष्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि व्यवसाय की सफलता के लिए कि व्यवसाय के आन्तरिक पर्यावरण को पूर्ण रूप से समझना आवश्यक है ।
(II) व्यवसाय का बाह्य पर्यावरण (External Environment of Business):
व्यवसाय किसी रिक्तता (Vacuum) में संचालित नहीं किया जाता वरन् समाज के अन्तर्गत कार्यशील विभिन्न शक्तियों, दशाओं एवं तत्वों की अनुक्रिया में किया जाता है । ये पर्यावरण की वास्तविकताएँ व्यवसाय के संचालन एवं प्रगति को प्रभावित करती रहती हैं । इनमें आर्थिक तत्व, सामाजिक व सांस्कृतिक तत्व जनांकिकी तत्व, प्राकृतिक तत्व अन्तर्राष्ट्रीय तत्व प्रथम सम्मिलित होते हैं ।
संक्षेप में बाह्य पर्यावरण की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
i. बाह्य पर्यावरण व्यवसाय को प्रभावित करने वाले बाहरी तत्वों के समूह को कहा जाता है । आर्थिक तत्व, सामाजिक-सांस्कृतिक-तत्व, सहकारी और कानूनी तत्व, जनांकिकीय तत्व तथा प्राकृतिक तत्व शामिल हैं । इन तत्वों पर व्यवसायी का नियन्त्रण नहीं होता ।
ii. बाह्य पर्यावरण व्यवसाय के अवसरों (Opportunities) एवं चुनौतियों (Threts) को उजागर करते हैं । जिनका विश्लेषण करके प्रबन्धक विभिन्न राजनीतियों में से सर्वोत्तम राजनीति में से सर्वोत्तम राजनीति का चयन करना ।
iii. बाह्य पर्यावरण वे व्यावसायिक इकाई के नियन्त्रण के बाहर होता है और कई बार इनका व्यवसाय पर इतना गम्भीर प्रभाव पड़ता है कि व्यवसाय को ही बन्द करने के लिए बाध्य होना पड़ता है ।
व्यावसायिक फर्म की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने पर्यावरण के विभिन्न संघटकों से किस प्रकार अन्तर्क्रिया करती है । यही कारण है कि फर्म का कार्य अपने पर्यावरण की सूक्ष्म जाँच कर इसके संघटकों तथा उनके परस्पर सम्बन्धों की पहचान करना एवं इनसे व्यवहार करने के लिए प्रभावी नीतियों को निर्माण करना है ।
इस प्रकार व्यावसायिक पर्यावरण उन समस्त पर्यावरणीय संघटकों का कुल योग है जो व्यावसायिक फर्म को उसका परिवेश प्रदान करता है ।
व्यावसायिक पर्यावरण में फर्म के आन्तरिक एवं बाह्य तत्व दोनों सम्मिलित होते हैं ।
जिनको निम्न रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है:
(I) आन्तरिक पर्यावरण (Internal Environment):
आन्तरिक पर्यावरण की निम्नलिखित विशेषताएँ व्यापक रूप में होती हैं:
1. इसमें व्यवसाय को प्रभावित करने वाले वे आन्तरिक तत्व शामिल होते हैं जो व्यवसाय के नियन्त्रण में रहते हैं ।
2. ये फर्म के आन्तरिक संगठनात्मक घटकों से निर्मित होता है जिन पर फर्म का स्वयं नियन्त्रण होता है । संक्षिप्त में आन्तरिक पर्यावरण संगठन के अन्दर ही पाए जाते हैं ।
3. व्यवसाय के आन्तरिक पर्यावरण में निम्नलिखित घटक महत्वपूर्ण माने जाते हैं:
i. व्यावसायिक लक्ष्य एवं उद्देश्य
ii. व्यावसायिक एवं प्रबन्धकीय नीतियाँ
iii. व्यावसायिक क्षमता एवं वृद्धि सम्भावनाएँ
iv. उत्पादन प्रणाली, अभिकल्पना, यन्त्र एवं तकनीकें
v. श्रम एवं प्रबन्ध की कुशलता व सक्षमता का स्तर
vi. व्यवसायिक योजनाएँ एवं व्यूह रचनाएँ
vii. व्यावसायिक प्रबन्ध सूचना प्रणाली एवं सम्प्रेषण व्यवस्था
viii. सामाजिक दायित्वों के प्रति दृष्टिकोण
ix. व्यावसायिक दृष्टि
x. कार्य का समग्र पर्यावरण
xi. वित्त व्यवस्था ।
आन्तरिक पर्यावरण में 5 Ms को भी शामिल किया जाता है – Man (मनुष्य), Material (सामग्री), Money (मुद्रा), Machinery (मशीनरी), व Management (प्रबन्ध) ।
4. यद्यपि आन्तरिक पर्यावरण नियन्त्रण योग्य है, लेकिन इसमें भी निरन्तर जटिलताएँ एवं बाधाएँ उत्पन्न होती रहती हैं । इसलिए व्यवसाय के आन्तरिक पर्यावरण की पहचान करना इसे पूर्णरूप से समझना व्यवसाय का प्रथम उत्तरदायित्व है ।
5. यद्यपि प्रबन्धक, संचालक व अधिकारी संस्था के आन्तरिक पर्यावरण के अंग होते हैं, परन्तु बाह्य पर्यावरण के सम्बन्ध में भी जानकारी प्राप्त करके व पर्यावरण में आ रहे परिवर्तनों को समय से विश्लेषित करके उनके अनुसार व्यवसाय की नीतियों में आवश्यक परिवर्तन करते रहते हैं ।
6. आन्तरिक पर्यावरण व्यवस्था (संस्था) की ताकत (Strength) व कमजोरियाँ (Weaknesses) को उजागर करते हैं । उदाहरण के लिए यदि संस्था के कर्मचारी कुशल व योग्य हैं तो ये कर्मचारी संस्था को नई ऊँचाईयों पर ले जा सकते हैं । इसके विपरीत यदि वे असन्तुष्ट हैं तो उनका मनोबल कम होता है जिसका संगठन के निष्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि व्यवसाय की सफलता के लिए कि व्यवसाय के आन्तरिक पर्यावरण को पूर्ण रूप से समझना आवश्यक है ।
(II) व्यवसाय का बाह्य पर्यावरण (External Environment of Business):
व्यवसाय किसी रिक्तता (Vacuum) में संचालित नहीं किया जाता वरन् समाज के अन्तर्गत कार्यशील विभिन्न शक्तियों, दशाओं एवं तत्वों की अनुक्रिया में किया जाता है । ये पर्यावरण की वास्तविकताएँ व्यवसाय के संचालन एवं प्रगति को प्रभावित करती रहती हैं । इनमें आर्थिक तत्व, सामाजिक व सांस्कृतिक तत्व जनांकिकी तत्व, प्राकृतिक तत्व अन्तर्राष्ट्रीय तत्व प्रथम सम्मिलित होते हैं ।
संक्षेप में बाह्य पर्यावरण की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
i. बाह्य पर्यावरण व्यवसाय को प्रभावित करने वाले बाहरी तत्वों के समूह को कहा जाता है । आर्थिक तत्व, सामाजिक-सांस्कृतिक-तत्व, सहकारी और कानूनी तत्व, जनांकिकीय तत्व तथा प्राकृतिक तत्व शामिल हैं । इन तत्वों पर व्यवसायी का नियन्त्रण नहीं होता ।
ii. बाह्य पर्यावरण व्यवसाय के अवसरों (Opportunities) एवं चुनौतियों (Threts) को उजागर करते हैं । जिनका विश्लेषण करके प्रबन्धक विभिन्न राजनीतियों में से सर्वोत्तम राजनीति में से सर्वोत्तम राजनीति का चयन करना ।
iii. बाह्य पर्यावरण वे व्यावसायिक इकाई के नियन्त्रण के बाहर होता है और कई बार इनका व्यवसाय पर इतना गम्भीर प्रभाव पड़ता है कि व्यवसाय को ही बन्द करने के लिए बाध्य होना पड़ता है ।
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