Tuesday, October 5, 2021

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 Recruitment process

भर्ती की प्रक्रिया

किसी भी उपक्रम में उपक्रम की आवश्यकता के अनुसार मानव संसाधनों की आपूर्ति के लिए भर्ती की प्रक्रिया अपनाई जाती है इस प्रक्रिया के अंतर्गत निम्नांकित चरण होते हैं 

1 भर्ती के लिए तैयारी 

2 भर्ती के स्रोतों का निर्धारण


भर्ती के लिए तैयारी

Preparation for recruitment


      किसी भी संस्थानों में भर्ती कार्य प्रारंभ करने के पूर्व कुछ महत्वपूर्ण तैयारियां करनी पड़ती है इसके अंतर्गत निम्नांकित कार्य करने होते हैं।


A. कर्मचारियों के कार्य की प्रकृति एवं योग्यता का निर्धारण

Determinations of nature of work and skills


        एक बड़ी संस्था के संगठन के विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रकार के कर्मचारियों की आवश्यकता होती है उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य की प्रकृति तथा उस कार्य को निष्पादित करने के लिए आवश्यक योग्यता कौशल गुण आदि का सही-सही निर्धारण करना बहुत आवश्यक होता है ताकि उसी के अनुसार कर्मचारियों की भर्ती की जा सके इसके लिए कार्य विश्लेषण (job analysis) का सहारा लेना पड़ता है।


Job analysis

कार्य विश्लेषण

कार्य विश्लेषण निर्दिष्ट कार्यों के लिए आओ एवं प्रत्येक कार्य की आवश्यकताओं के निर्धारण की एक पद्धति है।

जूसीयस के अनुसार- "कार्य विश्लेषण क्रियाओं कर्तव्य एवं कार्यों के संगठनात्मक पहलुओं के अध्ययन की प्रक्रिया है जिसमें कार्य विवरण प्राप्त की जा सके।"


Filippo के अनुसार "कार्य विश्लेषण एक विशिष्ट कार्य की क्रियाओं एवं उत्तरदायित्व से संबंधित सूचनाओं के अध्ययन के एकत्रीकरण की प्रक्रिया है।"

    विभिन्न कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले कार्य का विश्लेषण करने के लिए निम्न दो क्रिया करनी होती है।

कार्य विवरण

Job description

कार्य विनिर्देशन

Job specification



Job description- कर्मचारियों के कार्यों का विश्लेषण करके कार्य विवरण तैयार किया जाता है यह कार्य विश्लेषण का लिखित कथन होता है।

 पिगर्स मेयर्स के अनुसार- कारी विवरण एक प्रदत्त कार्य का स्थिति के अंतर्गत आने वाले विभिन्न कर्तव्य उत्तरदायित्व एवं संगठनात्मक संबंधों का लिखित शब्द चित्र है।

     कार्य विवरण (job description) में दो प्रकार की सूचनाएं आवश्यक होती है प्रथम तकनीकी आवश्यकताएं तथा द्वितीय कार्य दर्शाए।



कार्य विनिर्देश (job specifications) - इसे व्यक्ति विशिष्ट विवरण भी कहा जाता है कार्य विनिर्देश कार्य विश्लेषण एवं कार्य विवरण का संयुक्त परिणाम होता है। कार्य विनिर्देश कर्मचारी के उस प्रकार को निश्चित करता है जिसकी आवश्यकता है। यह इस बात को विनिर्देश करता है कि अमुक कार्य को करने के लिए अमुक प्रकार का कर्मचारी होना चाहिए इस प्रकार मानव संसाधन के चुनाव में कार्य विनिर्देश से बड़ी सहायता मिलती है।

Flippo के अनुसार- कार्य विनिर्देश किसी कार्य को ठीक प्रकार से संपन्न करने के लिए आवश्यक न्यूनतम स्वीकृत मानवीय योग्यताएं हैं।

डेल योडर के अनुसार- कार्य विनिर्देश वांछित कर्मचारियों के प्रकार का वर्णन हैएवं अन्य कार्य अवस्थाओं का उल्लेख है जिनका कार्य निष्पादन में सामना करना पड़ता है।


कार्य विनिर्देश में सम्मिलित बातें।

Contents of job specifications

- कार्य विनिर्देश में साधारणतया निम्नलिखित बातों को सम्मिलित किया जाता है।

व्यक्तिगत विशेषताएं personal characteristics

मनोवैज्ञानिक विशेषताएं psychological characteristics

भौतिक विशेषताएं physical characteristics

उत्तरदायित्व responsibilities

जनांकिकी संबंधी अन्य तत्व other factors of demographic nature


     इस प्रकार उपर्युक्त दोनों विवरणों की सहायता से कार्य विश्लेषण को पूरा किया जाता है इससे व्यक्तियों की वांछित योग्यताओं का निर्धारण हो जाता है।


B. कर्मचारियों की संख्या का निर्धारण (determining the number of employees )


     कर्मचारियों की भर्ती का दूसरा कदम कर्मचारियों की संख्या के निर्धारण से संबंधित है कर्मचारियों की संख्या का अनुमान निम्न आधार पर लगाया जाता है


विभागों में कार्य की मात्रा, पदों की संख्या


कार्य की भावी योजनाएं


वर्तमान में कर्मचारियों की संख्या


कर्मचारियों की आवर्तन दर


भावी विकास की संभावनाएं


प्रति कर्मचारी कार्य का अनुमान आदि


    उपर्युक्त सभी घटकों पर विचार करते हुए कर्मचारियों की संख्या का निर्धारण किया जाता है।


2. भर्ती के स्रोतों का निर्धारण

Determination of sources of recruitment


प्राचीन काल में जब उद्योगों का अधिक विकास नहीं हुआ था तब श्रमिकों की भर्ती की समस्या जटिल समस्या नहीं थी द्वितीय विश्व युद्ध के समय तथा उसके उपरांत जब तीव्र गति से औद्योगिकीकरण का आरंभ हुआ तब भर्ती की अनेक प्रणालियों का विकास हुआ तथा भर्ती के कई नए स्रोत ढूंढे गए पहले श्रमिक की भर्ती के लिए केवल मध्यस्थों का प्रयोग किया जाता था किंतु अब कई विधाओं जैसे नियोजन कार्यालय विज्ञापन क्षेत्रीय यात्रा महाविद्यालय से चयन व्यवसायिक बैठक विशिष्ट खोज विभिन्न स्रोत तथा कंपनी के भीतर ही उपयुक्त व्यक्ति की खोज आदि का प्रयोग किया जाता है।

  इन सभी स्रोतों को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है 


आंतरिक स्रोत एवं बाह्य स्रोत

1. आंतरिक स्रोत internal sources : आंतरिक स्रोत को दो उप भाग किए जा सकते हैं

A वर्तमान कर्मचारी

B वर्तमान कर्मचारियों की सिफारिश के आधार पर लिए गए कर्मचारी। 


  जहां आंतरिक कर्मचारी कार्य से परिचित होने के कारण पदोन्नति के लिए अधिक सक्षम पाए जाते हैं वहां उनकी सिफारिश पर बाहरी व्यक्तियों को लिए जाना भी कंपनी के हित में समझा जाता है।


* एडवांटेज- आंतरिक स्रोत का उपयोग स्थानांतरण पदोन्नति पद अवनयन आदि के माध्यम से किया जाता है इस नीति के कुछ गुण इस प्रकार हैं: 

यह व्यक्ति के नैतिक स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक होता है


यह व्यक्ति में संगठन के प्रति स्वामी भक्ति जागृत करता है


जिन व्यक्तियों को कंपनी की इस पदोन्नति प्राथमिकता नीति का ज्ञान होता है वह अपना कार्य अधिक लग्न एवं निष्ठा से करते हैं तथा उन्हें अपेक्षा कम प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ती है।


 कंपनी के सामान्य आचरण व्यवहार नियम आदि के प्रति व्यक्ति प्रशिक्षित होते हैं।


Disadvantages- 

इस प्रणाली में प्रायः नए एवं साहसी व्यक्तियों को कार्य करने में प्रवेश करने का अवसर नहीं मिलता तथा इस प्रकार उपक्रम योग्य कर्मचारी के लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाता है।


 आंतरिक साधनों से कई बार योग्य व्यक्ति प्राप्त नहीं किए जाते क्योंकि पदोन्नति आदि के अवसरों पर सिफारिश या भाई भतीजावाद की प्रवृत्ति अधिक कार्य करती है।


 आंतरिक स्रोत से पदोन्नति वस्तुतः वरिष्ठता क्रम में की जाती है इससे वंचित योग्यता वाले व्यक्ति का चयन नहीं किया जा सकता है।


 इस प्रकार के चयन में प्रबंधकों की व्यक्तिगत धारणा अधिक महत्व रखता है।


2. बाह्य स्रोत external sources

      जब विभिन्न पदों पर संस्था के बाहर से नए व्यक्ति की भर्ती की जाती है तो यह वह यह स्रोत भर्ती प्रणाली कहलाती है इसके प्रमुख गुण- दोष निम्नलिखित है-


Merit- 


संस्था में नए विचारशील एवं सृजनात्मक व्यक्तियों को स्थान दिया जाता है


नई तकनीकी योग्यता की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है


भर्ती का क्षेत्र अत्यंत व्यापक हो जाता है


प्रबंध गतिशीलता में वृद्धि होती है


यह प्रजातांत्रिक पद्धति है इससे सभी को कार्य पाने का अवसर समान रूप से मिलता है।


संस्था में जड़ता व रूढ़िवादिता समाप्त होने लगता है


युवा व्यक्तियों को रोजगार का अवसर प्राप्त होने लगते हैं


प्रशिक्षित व्यक्तियों की नियुक्ति कर के प्रशिक्षण प्रदान करने की समस्या से बचा जा सकता है


विभिन्न कार्यों एवं संस्थाओं में अनुभव प्राप्त व्यक्ति भी प्राप्त हो जाते हैं।



Disadvantages- 


बाह्य स्रोत से कर्मचारियों के भर्ती के प्रमुख दोष निम्नलिखित है- 


प्रशिक्षण व्ययो का भार बढ़ जाता है


संस्था के कर्मचारी के मनोबल में कमी होती है


कर्मचारियों में असंतोष जागृत होता है


बाय भर्ती से गलत व्यक्तियों का चयन भी संभव हो जाता है


विश्वास पात्र एवं निष्ठा युक्त कर्मचारी प्राप्त करना कठिन होता है


नए कर्मचारियों को संस्था से परिचित होने वह जमने में समय लगता है


कर्मचारियों की अभिप्रेरणा में बाधा पहुंचती है


     Conclusion-

 भर्ती के उपर्युक्त दोनों स्रोतों के लाभ- दोषों के विवेचन से स्पष्ट है कि एक कुशल प्रबंधक का समय-समय पर दोनों ही स्रोतों से कर्मचारियों की भर्ती करनी पड़ती है वस्तुतः कर्मचारियों की वांछित योग्यता कार्य की प्रकृति तकनीकी ज्ञान प्रशिक्षण की मात्रा वित्तीय बोझ तकनीकी परिवर्तनों की मात्रा प्रबंध के दृष्टिकोण पर बल आदि घटको पर यह निर्भर करेगा कि भर्ती में विभिन्न स्रोतों का कितना सहारा लिया जाए केवल आंतरिक व बाह्य स्रोत पर निर्भर रहना संस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकता है अतः योग्य प्रबंधक आंतरिक एवं बाह्य दोनों ही स्रोतों का परिस्थितियों के अनुसार पूर्ण प्रयोग करते हैं।


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