Wednesday, October 19, 2022

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Meaning of Management concept

    "प्रबंध दूसरे व्यक्तियों से कार्य करने की युक्ति है इस प्रकार वह व्यक्ति जो अन्य व्यक्तियों से कार्य करने की क्षमता रखता है प्रबंधक कहलाता है| "  परंतु आज के युग में प्रबंध केवल अन्य लोगों से काम लेने तक ही सीमित नहीं है अपितु उपक्रम में कार्यरत व्यक्तियों के साथ मिलकर कार्य कराने की कला है। विस्तृत अर्थ में, "प्रबंध शब्द का अर्थ ना केवल व्यापार में अपितु सभी प्रकार की क्रियाओं में, जहां मानवीय श्रम का प्रयोग होता है, किया जाता है।"

    प्रबंध का एक तीसरा दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है हेरोल्ड कुंटज और ओ डोनेल ने "प्रबंध औपचारिक रूप से समूह में संगठित मनुष्यों से तथा उसके साथ मिलजुल कर काम करने व कराने की कला है।"
     प्रबंध वह प्रक्रिया है जिसमें काम को कुशल एवं प्रभावी ढंग से करने के लिए कार्यों के एक समूह (नियोजन, संगठन, नियुक्तिकरण, निर्देशन व नियंत्रण) को संपन्न किया जाता है।"

 प्रबंध शब्द का प्रयोग निम्नलिखित अर्थों में किया जाता है।

1. व्यक्तियों के समूह के रूप में
प्रबंध से तात्पर्य सदैव समूह प्रयत्नों से होता है अर्थात प्रबंध किसी व्यक्ति विशेष पर लागू नहीं होता है। प्रबंध उन व्यक्तियों का समूह है जो व्यवसायिक उद्देश्यों के प्राप्ति के लिए साधनों में समन्वय करते हैं, जो व्यवसायिक इकाइयों में काम करने वाले कर्मचारियों के कार्य पर नियंत्रण रखते हैं तथा व्यवसायिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उत्तरदाई होते हैं।

2. प्रबंध एक प्रक्रिया के रूप में
प्रबंध का अर्थ उन क्रियाओं से है जो कि उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक है मुख्यत: प्रबंध को नियोजन संगठन निर्देशन समन्वय नियुक्तियों नियंत्रण आदि की क्रियाओं को करना पड़ता है इन सभी क्रियाओं को सुचारू रूप से करना ही प्रबंध कहलाता है।

3. आर्थिक साधन के रूप में
अर्थशास्त्रियों के अनुसार प्रबंध भूमि पूंजी तथा श्रम की भांति उत्पादन का एक घटक है इस अर्थ में प्रबंध उत्पादन का वह महत्वपूर्ण घटक है जो अन्य घटकों की कार्यकुशलता तथा लाभदायकता में वृद्धि करता है।

4. एक विषय के रूप में
प्रबंध एक विषय के रूप में वह क्रमबद्ध ज्ञान का समूह है जिसका शिक्षण प्रशिक्षण किया जा सकता है इसके कुछ निश्चित विचार नियम व सिद्धांत हैं जो विश्व में समान रूप से लागू किए जा सकते हैं विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रबंध एक लोकप्रिय विषय है अन्य सामाजिक एवं भौतिक विज्ञान की भांति अध्ययन की इस विषय की सीमाएं निश्चित नहीं है।



Definition of management

जॉर्ज आर टेरी के अनुसार,
"प्रबंध एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें नियोजन संगठन क्रियान्वयन एवं नियंत्रण को सम्मिलित किया जाता है तथा इसका निष्पादन व्यक्तियों की साधनों के उपयोग द्वारा उद्देश्यों को निर्धारित एवं प्राप्त करने के लिए किया जाता है।"

F.w. टेलर के अनुसार,
प्रबंध यह जानने की कला है कि आप क्या करवाना चाहते हैं और इसके बाद यह देखना कि वह इसे सर्वोत्तम एवं मित्व्यतापूर्ण विधि से करें।

हेनरी फयोल के अनुसार,
प्रबंध का अर्थ पूर्वानुमान लगाना योजना बनाना संगठन करना निर्देश देना समन्वय करना और नियंत्रण करना है।

निष्कर्ष :
उपर्युक्त परिभाषा ओं के अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि
"प्रबंध एक सतत प्रक्रिया है जो मानवीय प्रयासों के नियोजन संगठन समन्वय निर्देशन नियंत्रण एवं प्रेरणा द्वारा सामग्री मशीन एवं धन को जीवन प्रदान करता है तथा उसके सर्वोत्तम उपयोग को संभव बनाता है ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके।"



Characteristics and features of Management


1. प्रबंध उद्देश्य प्रधान प्रक्रिया है
प्रबंध एक उद्देश्य प्रधान प्रक्रिया है यदि हमारे सामने कोई उद्देश्य नहीं है तो प्रबंध की जरूरत नहीं है अन्य शब्दों में प्रबंध की आवश्यकता तब होती है जब कि प्राप्त करने के लिए कोई उद्देश्य हमारे पास हो प्रबंधक अपने विशेष ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है अतः यह कहना बिल्कुल गलत नहीं है कि प्रबंध उद्देश्य प्रधान प्रक्रिया है।

2. प्रबंध एक सामूहिक क्रिया है।
इसका अभिप्राय है कि संगठन की सभी क्रियाओं को करने वाला कोई एक व्यक्ति नहीं होता है बल्कि यह तो अनेक व्यक्तियों का समूह होता है अतः प्रबंध एक सामूहिक क्रिया है।

3. मानवीय प्रयासों से संबंधित।
प्रबंध मानवीय क्रियाओं से संबंधित होता है प्रबंध मानवीय क्रियाओं के नियोजन संगठन निर्देशन समन्वय एवं नियंत्रण के द्वारा ही उपक्रम के निष्क्रिय साधनों को गतिशील बनाता है।

4. प्रबंध एक सतत प्रक्रिया है।
व्यवसाय में निरंतर समस्याओं का समाधान व सुधार करने की आवश्यकता रहती है इसी कारण प्रबंध को शतक्रिया कहा जाता है व्यवसायिक इकाइयों के आकार तथा परिस्थितियों की गतिशीलता के कारण यह क्रिया निरंतर जटिल होती जा रही है।

5. सार्वभौमिक प्रक्रिया
प्रबंध की क्रिया सभी संस्थाओं में चाहे वह व्यवसायिक संस्था हो या सामाजिक राजनैतिक हो या धार्मिक समान रूप से संपन्न की जाती है कोई भी संस्था जिसका लक्ष्य सामूहिक प्रयासों में प्राप्ति हो उसे अनिवार्य रूप से अपनी क्रियाओं का नियोजन संगठन निर्देशन एवं नियंत्रण करना पड़ता है।

6. प्रबंध एक सामाजिक क्रिया है
प्रबंध मुख्य रूप से संबंध व्यवसाय के मानवीय पक्ष से होता है संस्था के सभी कर्मचारी समाज के ही अंग होते हैं अतः इसका नेतृत्व निर्देशन सामाजिक क्रिया का ही अंग हुए वर्तमान में व्यवसाय ने भी अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को स्वीकार कर लिया है।

7. प्रबंध का पृथक अस्तित्व होता है।
प्रबंध का एक पृथक स्थान बन गया है यह व्यवसाय के स्वामियों एवं कर्मचारियों से भिन्न व्यक्तियों का एक ऐसा वर्ग है जिसके हाथ में प्रबंध की बागडोर होती है वास्तव में प्रबंध निर्णय लेने नेतृत्व प्रदान करने व कार्यों पर नियंत्रण करने वाले व्यक्तियों का एक विशिष्ट वर्ग है।

8. प्रबंध एक समन्वयकारी शक्ति है।
प्रबंध एक समन्वय कार्य शक्ति है यह शक्तियों के कार्यों में सामंजस्य स्थापित करने विभिन्न वर्गों के हितों को समन्वित करने एवं संस्था के उद्देश्य व उपलब्ध संसाधनों के मध्य एकीकरण करने की प्रक्रिया है।

9. प्रबंध एक सृजनशील कार्य है।
प्रबंध समाज में विनियोग आए रोजगार एवं नए व्यवसायियों में वृद्धि करके धन संपदा का निर्माण करता है इसके द्वारा ही देश में कार्य कौशल सृजनात्मक विचारों साहसिक प्रवृत्तियों व व्यवसायिक अभिरुचियों को प्रोत्साहन मिलता है।

10. प्रबंध उद्देश्य निर्धारित करता है।
प्रबंध उद्देश्यों को प्राप्त करने का एक साधन है साध्य नहीं है इसका उद्देश्य सामग्री सरम मशीन भूमि समाज एवं सरकार को अपने हित में से अधिक उपयोग करके पर्याप्त उत्पादन करना और उत्पादित माल की बिक्री द्वारा ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त करना होता है।

निष्कर्ष :
प्रबंध में सामूहिक प्रयत्न संयुक्त उद्देश्य एकीकरण सामाजिक प्रक्रिया आदि मुख्य विशेषताएं निहित है उपरोक्त तथ्यों से भी स्पष्ट हो जाता है कि प्रबंध और स्वामित्व अलग-अलग हाथों में निहित हैं लेकिन सदा यह आवश्यक नहीं है क्योंकि छोटे उपक्रमों में प्रबंध और स्वामित्व एक ही व्यक्ति के हाथ में हो सकता है।



Objective of Management concept
प्रबंध के उद्देश्य

    प्रत्येक मानवीय क्रिया का कोई ना कोई उद्देश्य होता है इसका कारण यह है कि जब तक प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्य पहले से निश्चित नहीं हो तब तक उसकी प्राप्ति के लिए अपेक्षित प्रयास नहीं किए जा सकेंगे।

      "प्रबंध के उद्देश्य एक ऐसा अवश्य लक्ष्य है जो निश्चित क्षेत्र निर्धारित करता है तथा एक प्रबंध के प्रयासों के निर्देशन हेतु सुझाव देता है।"

जॉर्ज आर्टरी द्वारा प्रबंध के उद्देश्य की दी गई इस परिभाषा में चार धारणाएं सम्मिलित है।

1.लक्ष्य Goal
2.क्षेत्र Scope
3.निश्चितता Definiteness
 4.निर्देशन Direction

  प्रबंध के उद्देश्य को 4 वर्गों में बांटा जा सकता है
प्राथमिक उद्देश्य primary objectives
सहायक उद्देश्य secondary objectives
व्यक्तिगत उद्देश्य personal objectives
सामाजिक उद्देश्य social objectives

प्राथमिक उद्देश्य
बाजार में विक्रय योग्य वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करना प्रबंध का प्राथमिक उद्देश्य है ऐसी वस्तुएं एवं सेवाएं प्रदान करने पर उपभोक्ता को वे वस्तुएं और सेवाएं प्राप्त होती है जो वे चाहते हैं और उपक्रम के सहयोगी सदस्य को प्राप्त प्रतिफल से उनका पारिश्रमिक मिलना संभव हो पाता है इस प्रकार प्रार्थनीय उद्देश्य प्रत्येक प्रबंध सदस्य द्वारा किए जाने वाले कार्य का निर्धारण करता है।
      प्राथमिक उद्देश्य के अंतर्गत निम्नलिखित को विशेष महत्व दिया जाता है
(i)ग्राहकों को तुरंत विश्वसनीय एवं प्रतिस्पर्धात्मक वस्तुएं एवं सेवाएं प्रदान करना
(ii) ऊंची किस्म के उत्पादों एवं सेवाओं को ऐसे मूल्य पर बेचना जो राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में हो।
(iii) ग्राहकों में यह विश्वास जमाना की विक्रय की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन नवीन एवं आधुनिकतम विधि से किया गया है।

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