RESIDENTIAL STATUS
FINANCE ACT 2020
NOTES BY SWAMI SHARAN
Commerce ; Business Environment, Managerial Economic s, Management concept, Corporate legal framework, Economics, Accounts, Strategic management, Income tax, Financial management, HRM, M.com, B.com, M.B.A., Banking etc.
RESIDENTIAL STATUS
FINANCE ACT 2020
NOTES BY SWAMI SHARAN
Recruitment process
भर्ती की प्रक्रिया
किसी भी उपक्रम में उपक्रम की आवश्यकता के अनुसार मानव संसाधनों की आपूर्ति के लिए भर्ती की प्रक्रिया अपनाई जाती है इस प्रक्रिया के अंतर्गत निम्नांकित चरण होते हैं
1 भर्ती के लिए तैयारी
2 भर्ती के स्रोतों का निर्धारण
भर्ती के लिए तैयारी
Preparation for recruitment
किसी भी संस्थानों में भर्ती कार्य प्रारंभ करने के पूर्व कुछ महत्वपूर्ण तैयारियां करनी पड़ती है इसके अंतर्गत निम्नांकित कार्य करने होते हैं।
A. कर्मचारियों के कार्य की प्रकृति एवं योग्यता का निर्धारण
Determinations of nature of work and skills
एक बड़ी संस्था के संगठन के विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रकार के कर्मचारियों की आवश्यकता होती है उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य की प्रकृति तथा उस कार्य को निष्पादित करने के लिए आवश्यक योग्यता कौशल गुण आदि का सही-सही निर्धारण करना बहुत आवश्यक होता है ताकि उसी के अनुसार कर्मचारियों की भर्ती की जा सके इसके लिए कार्य विश्लेषण (job analysis) का सहारा लेना पड़ता है।
Job analysis
कार्य विश्लेषण
कार्य विश्लेषण निर्दिष्ट कार्यों के लिए आओ एवं प्रत्येक कार्य की आवश्यकताओं के निर्धारण की एक पद्धति है।
जूसीयस के अनुसार- "कार्य विश्लेषण क्रियाओं कर्तव्य एवं कार्यों के संगठनात्मक पहलुओं के अध्ययन की प्रक्रिया है जिसमें कार्य विवरण प्राप्त की जा सके।"
Filippo के अनुसार "कार्य विश्लेषण एक विशिष्ट कार्य की क्रियाओं एवं उत्तरदायित्व से संबंधित सूचनाओं के अध्ययन के एकत्रीकरण की प्रक्रिया है।"
विभिन्न कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले कार्य का विश्लेषण करने के लिए निम्न दो क्रिया करनी होती है।
कार्य विवरण
Job description
कार्य विनिर्देशन
Job specification
Job description- कर्मचारियों के कार्यों का विश्लेषण करके कार्य विवरण तैयार किया जाता है यह कार्य विश्लेषण का लिखित कथन होता है।
पिगर्स मेयर्स के अनुसार- कारी विवरण एक प्रदत्त कार्य का स्थिति के अंतर्गत आने वाले विभिन्न कर्तव्य उत्तरदायित्व एवं संगठनात्मक संबंधों का लिखित शब्द चित्र है।
कार्य विवरण (job description) में दो प्रकार की सूचनाएं आवश्यक होती है प्रथम तकनीकी आवश्यकताएं तथा द्वितीय कार्य दर्शाए।
कार्य विनिर्देश (job specifications) - इसे व्यक्ति विशिष्ट विवरण भी कहा जाता है कार्य विनिर्देश कार्य विश्लेषण एवं कार्य विवरण का संयुक्त परिणाम होता है। कार्य विनिर्देश कर्मचारी के उस प्रकार को निश्चित करता है जिसकी आवश्यकता है। यह इस बात को विनिर्देश करता है कि अमुक कार्य को करने के लिए अमुक प्रकार का कर्मचारी होना चाहिए इस प्रकार मानव संसाधन के चुनाव में कार्य विनिर्देश से बड़ी सहायता मिलती है।
Flippo के अनुसार- कार्य विनिर्देश किसी कार्य को ठीक प्रकार से संपन्न करने के लिए आवश्यक न्यूनतम स्वीकृत मानवीय योग्यताएं हैं।
डेल योडर के अनुसार- कार्य विनिर्देश वांछित कर्मचारियों के प्रकार का वर्णन हैएवं अन्य कार्य अवस्थाओं का उल्लेख है जिनका कार्य निष्पादन में सामना करना पड़ता है।
कार्य विनिर्देश में सम्मिलित बातें।
Contents of job specifications
- कार्य विनिर्देश में साधारणतया निम्नलिखित बातों को सम्मिलित किया जाता है।
व्यक्तिगत विशेषताएं personal characteristics
मनोवैज्ञानिक विशेषताएं psychological characteristics
भौतिक विशेषताएं physical characteristics
उत्तरदायित्व responsibilities
जनांकिकी संबंधी अन्य तत्व other factors of demographic nature
इस प्रकार उपर्युक्त दोनों विवरणों की सहायता से कार्य विश्लेषण को पूरा किया जाता है इससे व्यक्तियों की वांछित योग्यताओं का निर्धारण हो जाता है।
B. कर्मचारियों की संख्या का निर्धारण (determining the number of employees )
कर्मचारियों की भर्ती का दूसरा कदम कर्मचारियों की संख्या के निर्धारण से संबंधित है कर्मचारियों की संख्या का अनुमान निम्न आधार पर लगाया जाता है
विभागों में कार्य की मात्रा, पदों की संख्या
कार्य की भावी योजनाएं
वर्तमान में कर्मचारियों की संख्या
कर्मचारियों की आवर्तन दर
भावी विकास की संभावनाएं
प्रति कर्मचारी कार्य का अनुमान आदि
उपर्युक्त सभी घटकों पर विचार करते हुए कर्मचारियों की संख्या का निर्धारण किया जाता है।
2. भर्ती के स्रोतों का निर्धारण
Determination of sources of recruitment
प्राचीन काल में जब उद्योगों का अधिक विकास नहीं हुआ था तब श्रमिकों की भर्ती की समस्या जटिल समस्या नहीं थी द्वितीय विश्व युद्ध के समय तथा उसके उपरांत जब तीव्र गति से औद्योगिकीकरण का आरंभ हुआ तब भर्ती की अनेक प्रणालियों का विकास हुआ तथा भर्ती के कई नए स्रोत ढूंढे गए पहले श्रमिक की भर्ती के लिए केवल मध्यस्थों का प्रयोग किया जाता था किंतु अब कई विधाओं जैसे नियोजन कार्यालय विज्ञापन क्षेत्रीय यात्रा महाविद्यालय से चयन व्यवसायिक बैठक विशिष्ट खोज विभिन्न स्रोत तथा कंपनी के भीतर ही उपयुक्त व्यक्ति की खोज आदि का प्रयोग किया जाता है।
इन सभी स्रोतों को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है
आंतरिक स्रोत एवं बाह्य स्रोत
1. आंतरिक स्रोत internal sources : आंतरिक स्रोत को दो उप भाग किए जा सकते हैं
A वर्तमान कर्मचारी
B वर्तमान कर्मचारियों की सिफारिश के आधार पर लिए गए कर्मचारी।
जहां आंतरिक कर्मचारी कार्य से परिचित होने के कारण पदोन्नति के लिए अधिक सक्षम पाए जाते हैं वहां उनकी सिफारिश पर बाहरी व्यक्तियों को लिए जाना भी कंपनी के हित में समझा जाता है।
* एडवांटेज- आंतरिक स्रोत का उपयोग स्थानांतरण पदोन्नति पद अवनयन आदि के माध्यम से किया जाता है इस नीति के कुछ गुण इस प्रकार हैं:
यह व्यक्ति के नैतिक स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक होता है
यह व्यक्ति में संगठन के प्रति स्वामी भक्ति जागृत करता है
जिन व्यक्तियों को कंपनी की इस पदोन्नति प्राथमिकता नीति का ज्ञान होता है वह अपना कार्य अधिक लग्न एवं निष्ठा से करते हैं तथा उन्हें अपेक्षा कम प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ती है।
कंपनी के सामान्य आचरण व्यवहार नियम आदि के प्रति व्यक्ति प्रशिक्षित होते हैं।
Disadvantages-
इस प्रणाली में प्रायः नए एवं साहसी व्यक्तियों को कार्य करने में प्रवेश करने का अवसर नहीं मिलता तथा इस प्रकार उपक्रम योग्य कर्मचारी के लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाता है।
आंतरिक साधनों से कई बार योग्य व्यक्ति प्राप्त नहीं किए जाते क्योंकि पदोन्नति आदि के अवसरों पर सिफारिश या भाई भतीजावाद की प्रवृत्ति अधिक कार्य करती है।
आंतरिक स्रोत से पदोन्नति वस्तुतः वरिष्ठता क्रम में की जाती है इससे वंचित योग्यता वाले व्यक्ति का चयन नहीं किया जा सकता है।
इस प्रकार के चयन में प्रबंधकों की व्यक्तिगत धारणा अधिक महत्व रखता है।
2. बाह्य स्रोत external sources:
जब विभिन्न पदों पर संस्था के बाहर से नए व्यक्ति की भर्ती की जाती है तो यह वह यह स्रोत भर्ती प्रणाली कहलाती है इसके प्रमुख गुण- दोष निम्नलिखित है-
Merit-
संस्था में नए विचारशील एवं सृजनात्मक व्यक्तियों को स्थान दिया जाता है
नई तकनीकी योग्यता की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है
भर्ती का क्षेत्र अत्यंत व्यापक हो जाता है
प्रबंध गतिशीलता में वृद्धि होती है
यह प्रजातांत्रिक पद्धति है इससे सभी को कार्य पाने का अवसर समान रूप से मिलता है।
संस्था में जड़ता व रूढ़िवादिता समाप्त होने लगता है
युवा व्यक्तियों को रोजगार का अवसर प्राप्त होने लगते हैं
प्रशिक्षित व्यक्तियों की नियुक्ति कर के प्रशिक्षण प्रदान करने की समस्या से बचा जा सकता है
विभिन्न कार्यों एवं संस्थाओं में अनुभव प्राप्त व्यक्ति भी प्राप्त हो जाते हैं।
Disadvantages-
बाह्य स्रोत से कर्मचारियों के भर्ती के प्रमुख दोष निम्नलिखित है-
प्रशिक्षण व्ययो का भार बढ़ जाता है
संस्था के कर्मचारी के मनोबल में कमी होती है
कर्मचारियों में असंतोष जागृत होता है
बाय भर्ती से गलत व्यक्तियों का चयन भी संभव हो जाता है
विश्वास पात्र एवं निष्ठा युक्त कर्मचारी प्राप्त करना कठिन होता है
नए कर्मचारियों को संस्था से परिचित होने वह जमने में समय लगता है
कर्मचारियों की अभिप्रेरणा में बाधा पहुंचती है
Conclusion-
भर्ती के उपर्युक्त दोनों स्रोतों के लाभ- दोषों के विवेचन से स्पष्ट है कि एक कुशल प्रबंधक का समय-समय पर दोनों ही स्रोतों से कर्मचारियों की भर्ती करनी पड़ती है वस्तुतः कर्मचारियों की वांछित योग्यता कार्य की प्रकृति तकनीकी ज्ञान प्रशिक्षण की मात्रा वित्तीय बोझ तकनीकी परिवर्तनों की मात्रा प्रबंध के दृष्टिकोण पर बल आदि घटको पर यह निर्भर करेगा कि भर्ती में विभिन्न स्रोतों का कितना सहारा लिया जाए केवल आंतरिक व बाह्य स्रोत पर निर्भर रहना संस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकता है अतः योग्य प्रबंधक आंतरिक एवं बाह्य दोनों ही स्रोतों का परिस्थितियों के अनुसार पूर्ण प्रयोग करते हैं।
Define motivation describe its various characteristics
अभिप्रेरण को परिभाषित कीजिए तथा इसके विभिन्न विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अभिप्रेरणा से तात्पर्य मनुष्य के शरीर के भीतर उस तत्व से है जो उसे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
दूसरे शब्दों में, अभिप्रेरणा से तात्पर्य व्यक्तियों की कार्य करने की इच्छा को इच्छा में बदलने हेतु अनेक प्रकार के प्रलोभन देकर उनको अभी प्रेरित अर्थात उत्साहित करना है।
अभी प्रेरण को विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न दृष्टिकोण से परिभाषित किया है जो निम्नलिखित है।
स्टैनले वेंस के अनुसार, कोई भी भावना या आवश्यकता जो व्यक्ति की इच्छा को प्रभावित करती है कि वह कार्य करने के लिए प्रेरित हो जाए अभी प्रेरण कहलाती है।
स्कॉट के अनुसार, अभिप्रेरणा लोगों को इच्छित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कार्य करने हेतु प्रेरित करने की क्रिया है।
जुसिलस के अनुसार, अभी प्रेरण किसी व्यक्ति को अथवा स्वयं को किसी इच्छित कार्य को करने के लिए प्रेरित करने की क्रिया है।
विलियस ग्लुक के शब्दों में, अभिप्रेरण वह आंतरिक स्थिति है जो मानवीय व्यवहार को अर्जित प्रवाहित एवं क्रियाशील रखती है।
संक्षेप में, अभिप्रेरणा कार्य करने की इच्छा एवं उत्साह है जो आंतरिक रूप से आवश्यक नाम एवं प्रत्याशाओ तथा वादी रूप से लक्ष्य व पुरस्कार के परिणाम स्वरूप घटित होता है।
अभिप्रेरण के तत्व एवं विशेषताएं
अभिप्रेरण के तत्व एवं विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
अभिप्रेरण एक अंतः प्रेरणा है: अभिप्रेरण मानवीय पहलू से संबंधित होता है वह व्यक्ति की अंतः प्रेरणा होता है अर्थात अभिप्रेरणा से व्यक्तियों में कार्य करने की आंतरिक भावना उत्पन्न होती है।
अ भि प्रेरण एक मनोवैज्ञानिक धारणा है: अभी प्रेरण मुख्यतः मनोवैज्ञानिक होता है अ भीप्रेरण द्वारा व्यक्तियों की मानसिक शक्तियों को विकसित करना होता है कि वे अपने कार्य में अधिक रुचि लें और कार्य में आनंद का अनुभव करें।
अभीप्रेरण एक सतत प्रक्रिया है: इससे व्यक्ति सदैव कार्य करने के लिए अभी प्रेरित रहते हैं इसके अतिरिक्त अभिप्रेरणा से व्यक्ति निष्क्रियता और कार्य के प्रति उदासीनता को छोड़कर अधिक कार्य करने के लिए कृत संकल्प हो जाते हैं। समय स्थान वातावरण एवं व्यवहार आदि मिलकर अभिप्रेरणा संबंधी अनुकूल अथवा प्रतिकूल वातावरण तैयार करते रहते हैं।
RECRUITMENT मानव संसाधन नियोजन का वह चरण है जिसके अंतर्गत सामान्य व्यक्ति का किसी खास पद या कार्य के लिए आवेदन के द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है।
दूसरे शब्दों में किसी खास कार्य या कार्यों के लिए इच्छुक एवं निपुण व्यक्ति या व्यक्तियों की पहचान करने एवं आवेदन देने के लिए प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया को भर्ती कहा जाता है। इसे एक धनात्मक क्रिया कहा जाता है क्योंकि इस प्रक्रिया में यह इच्छा कार्य करती है कि ज्यादा से ज्यादा सक्षम व्यक्ति आवेदन करें जिससे कि सक्षम व्यक्तियों की एक सूची तैयार हो सके और आवश्यकता अनुसार सक्षम व्यक्तियों का चयन हो सके।
प्रोफेसर एडविन फिलिप्पो के अनुसार
भर्ती संभावित कर्मचारियों की खोज करने तथा उन्हें संगठन कार्यों के लिए आवेदन करने के लिए उत्प्रेरित करने की प्रक्रिया है।
प्रोफ़ेसर ब्यूल के अनुसार
किसी विक्रय पद के लिए उपलब्ध प्रार्थी ओं में से सर्वोत्तम की सक्रिय खोज करना ही भर्ती है।
डल एस बीच के अनुसार
भारतीय संभावित कर्मचारियों के स्रोत का निर्धारण करने व्यक्तियों को कार्य अवसरों के बारे में सूचित करने तथा उन प्रार्थियों को संस्थाओं में आकर्षित करने की प्रक्रिया है जो कार्यों का निष्पादन करने की वांछित योग्यता रखते हो।
उपर्युक्त परिभाषा ओं से स्पष्ट है कि कर्मचारियों की भर्ती वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा संस्था में विभिन्न रिक्त पदों के लिए व्यक्तियों की खोज की जाती है तथा उन्हें रिक्त पदों तथा उनके लिए आवश्यक योग्यताओं के संबंध में जानकारी देकर उन्हें संस्था में आवेदन करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि संगठन का लक्ष्य प्राप्ति के लिए उपर्युक्त मानव संसाधनों की पूर्ति की जा सके।
Characteristics of recruitment
भर्ती की विशेषताएं
भर्ती के प्रमुख लक्षण या विशेषताएं निम्नलिखित है।
1. भर्ती योग्य व्यक्तियों की खोज की प्रथम प्रक्रिया है
2. इसमें व्यक्तियों को आवेदन देने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जाता है
3. इसमें भर्ती के विभिन्न स्रोतों का निर्धारण करके उन्हें बनाए रखने का प्रयास किया जाता है
4' भर्ती एक सकारात्मक प्रक्रिया है
5. भर्ती एवं चुनाव परस्पर संबंध है लेकिन दोनों में पर्याप्त अंतर होता है।
भर्ती वर्तमान एवं भविष्य दोनों प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की जा सकती है
6' भर्ती संस्था में चलने वाली निरंतर प्रक्रिया है
7. भारती के द्वारा प्रत्येक कार्य के लिए पर्याप्त मात्रा में आवेदकों की पूर्ति उत्पन्न होनी चाहिए ताकि नियोक्ता को चयन की सुविधा हो।
Need for recruitment of employees
कर्मचारियों की भर्ती की आवश्यकता
लगभग सभी व्यवसायिक संगठनों को कर्मचारियों की भर्ती की आवश्यकता अनेक कारणों से होती है इनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित है
संस्था का विकास एवं प्रतिस्पर्धा
तकनीकी परिवर्तन
कर्मचारी आवर्तन
औद्योगिकीकरण
अन्य कारण
संस्था का विकास एवं प्रतिस्पर्धा- बाजार की नई परिस्थितियों नए उत्पादों नए संयंत्र अथवा नई परियोजनाओं के कारण नई नई संस्थाएं विकसित होती रहती है प्रतिस्पर्धा के कारण भी संस्था की उत्पादन क्षमता व विक्रय गतिविधियों में वृद्धि होती रहती है फल स्वरुप संस्था के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की मांग बढ़ जाती है जिसके कारण नए कर्मचारियों की भर्ती करनी पड़ती है।
तकनीकी परिवर्तन- प्रौद्योगिकी की सुधारों नवीन अविष्कारों वह तकनीकी परिवर्तनों के कारण भी मानव शक्ति में आवश्यक समायोजन करने पड़ते हैं।
कर्मचारी आवर्तन- संस्था में स्थानांतरण सेवानिवृत्ति सेवा मुक्ति त्यागपत्र मृत्यु बीमारी आदि कारणों से कई बार आकाश मिक रिक्तियां हो जाती है इससे अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती आवश्यक हो जाती है।
औद्योगिकीकरण- समानता औद्योगिक विकास के फल स्वरुप अत्यधिक संख्या में संस्थाएं विकसित होती हैं जिनके फलस्वरूप तकनीशियन विक्रेताओं नए प्रशिक्षित कर्मियों की आवश्यकता उत्पन्न होती है।
अन्य कारण-
आकस्मिक रिक्ता पूरा करने के लिए
नवीन कार्यों व दायित्वों का निर्वहन करने के लिए
भाभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
Component of Indian financial systems
*Financial Institutions
*Financial market
*Financial instrument
*Financial services
*Financial regulators
Financial institution- यह इन्वेस्टर और सेवर को मिलाकर वित्तीय प्रणाली को गतिमान बनाए रखते हैं।
इस संस्थानों का प्रमुख कार्य सेवर से मुद्रा इकट्ठा करके उन इन्वेस्टर को उधार देना है जो कि उस मुद्रा को बाजार में निवेश कर लाभ कमाना चाहते हैं।
अतः यह वित्तीय संस्थान उधार देने वाले और उधार लेने वाले के बीच मध्यस्थता का भूमिका निभाते हैं। इस संस्थानों के उदाहरण है- बैंक ,गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान, स्वयं सहायता समूह मर्चेंट बैंकर इत्यादि।
Understanding of Financial Institutions
वित्तीय प्रणाली की समझ
वित्तीय संस्थान किसी ना किसी तरीके से अधिकांश लोगों की सेवा करते हैं क्योंकि वित्तीय संचालन किसी भी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं जिसमें व्यक्ति और कंपनियां लेनदेन और निवेश के लिए वित्तीय संस्थानों पर निर्भर होती है।
सरकार बैंकों और वित्तीय संस्थानों की देखरेख और विनियमन करना अनिवार्य मानती है क्योंकि वे अर्थव्यवस्था का एक ऐसा अभिन्न अंग है। जो ऐतिहासिक रूप से वित्तीय संस्थानों के दिवालिया होने से दहशत पैदा हो सकता है।
Indian financial system in hindi
भारतीय वित्तीय प्रणाली
किसी देश की वित्तीय प्रणाली देश की आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है क्योंकि यह बचत को निवेश से जोड़कर धन निर्माण में मदद करती है।
यह दोनों पक्षों के धन सृजन और विकास में सहायता के लिए सेवर से इन्वेस्टर तक धन के प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है।
संस्थागत अनुबंधों में प्रोडक्शन डिस्ट्रीब्यूशन एक्सचेंज और वित्तीय संपत्तियों या सभी प्रकार के इन्वेस्टमेंट की होल्डिंग को नियंत्रित करने वाले सभी निर्माण और तंत्र शामिल है।
Savers - यह वह लोग हैं जिनके पास फंड ज्यादा है जिनके पास सेविंग ज्यादा है।
Investors- यह वह लोग हैं वह व्यवसायिक संस्थान है वह इंडस्ट्रीज है जो फंड के तलाश में है या प्रॉब्लम फेस कर रही है शॉर्टेज ऑफ़ फंड के रूप में।
Sevars and investors के बीच में एक गैप आ गया है और इस गैप को कम करने के लिए जिस सिस्टम का प्रयोग किया जाता है उसे वित्तीय प्रणाली कहते हैं।
Definition of financial system
According to Dhanilal
"वित्तीय प्रणाली वित्तीय संस्थानों बाजारों और प्रतिभूतियों से जुड़े अंतर संबंधित और अंतर स्थापित घटकों का समूह है।"
Introduction of Working capital
कार्यशील पूंजी वित्तीय प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि कार्यशील पूंजी प्रबंध से एक व्यवसाय की लाभदायक का प्रभावित होती है।
प्रत्येक दशा में दो प्रकार की संपत्तियों का उपयोग किया जाता है अस्थाई संपत्तियां एवं चालू संपत्तियां।
स्थाई संपत्ति में भूमि, भवन, प्लांट, मशीन, फर्नीचर इत्यादि शामिल होती है। स्थाई संपत्ति आवे संपत्तियां होती है जिन्हें व्यवसाय में उपयोग करने के लिए लंबी अवधि के लिए प्रयोग में लाया जाता है इन संपत्तियों का क्रय दोबारा बेचकर लाभ कमाने के लिए नहीं किया जाता है।
चालू संपत्ति का उपयोग daily के व्यवसाय को चलाने के लिए किया जाता है। फतेह स्थाई संपत्तियों के प्रभावी एवं कुशल उपयोग के लिए व्यवसाय में पर्याप्त कार्यशील पूंजी होना चाहिए।
चालू संपत्तियों में cash, bank stock, bills receivable etc. शामिल होते हैं। इन संपत्तियों में लगाई गई पूंजी कार्यशील पूंजी कहलाती है।
Working capital व्यवसाय के तरलता को दर्शाता है।
Meaning of working capital management
कार्यशील पूंजी के अर्थ
Working capital management
कार्यशील पूंजी प्रबंधन उन समस्याओं से संबंधित है जो वर्तमान परिसंपत्तियों, वर्तमान देनदारियों के बीच मौजूद अंतर संबंधों के प्रबंधन के प्रयास से उत्पन्न होती है।
Definition of working capital
कार्यशील पूंजी की परिभाषा के लिए दो बिंदु विचारणीय है। कार्यशील पूंजी के उद्देश्य और क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए दो प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है।
Gross working capital concept
शक्ल अवधारणा के अनुसार कार्यशील पूंजी का अभिप्राय व्यवसाय की सभी चालू संपत्तियों की जोड से है।
Gross working capital= total current assets
Net working capital concept
कार्यशील पूंजी की शुद्ध अवधारणा के अनुसार,
शुद्ध कार्यशील पूंजी से आज से चालू दायित्व पर चालू संपत्ति के आधिक्य से है। यदि चालू दायित्व चालू संपत्ति से अधिक है तो इसे negative working capital कहते हैं।
Net working capital= current assets - current liabilities
Objective of human resource accounting
OBJECTIVE OF HUMAN RESOURCE ACCOUNTING
CONCEPT OF HUMAN RESOURCE ACCOUNTING
एक बार जब मनुष्य को मूल्य के रूप में मान्यता दे दी जाती है उसके बाद संगठन मनुष्य के वैल्यू का अनुमान लगाना जरूरी समझने लगता है।
सिद्धांतिका अनुशासन मुख्य रूप से इस धारणा पर आधारित है कि कर्मचारी अलग-अलग लक्ष्य और जरूरतों वाला व्यक्ति है।
सभी व्यक्ति की अलग-अलग योग्यता दक्षता और कुशलता एवं विश्वास होता है सभी व्यक्तियों की माप किसी भी संगठन में इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए।
Economists opinion:
मानव की दक्षता, बुद्धि व ज्ञान कुंजी है या नहीं इस अवधारणा पर अर्थशास्त्रियों ने काफी चिंतन व तर्क किए हैं 17वीं शताब्दी के मध्य में अर्थशास्त्री सर विलियम पीटी ने मानव संसाधन को मौद्रिक रूप में मूल्यांकन करने का प्रयत्न किया था और तब इस प्रकार की अवधारणा को व्यापक स्तर पर अनेक अर्थशास्त्रियों ने प्रयुक्त किया है। व्यापक स्तर पर मानव को उत्पादन का साधन मात्र नामांकन पूंजी मानने का श्रेय बेटी के अतिरिक्त प्रख्यात व प्रतिष्ठित , नवप्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों को जाता है।
बीसवीं शताब्दी के मध्य में कुछ अर्थशास्त्रियों को मानव पूंजी अर्थशास्त्री के श्रेणी में रखा गया इनमें से पियोडर W Schulz प्रमुख हैं, जिनका मत है, " मानव प्राणी को पूंजीगत वस्तु ना मानने का कारण मानव छवि के विषय में भावनात्मक दृष्टि वह उसके मापने की निहित जटिलता और अव्यावहारिकता की है।"
Lester C Thurow, के अनुसार मानव प्राणियों की उत्पादकता संबंधी क्षमता का मापन के साधन के रूप में ही मानव पूंजी अवधारणा को आर्थिक विश्लेषण में लागू किया गया। जो अर्थशास्त्री मानव पूंजी की अवधारणा का विरोध करते हैं, उनका तर्क यह है कि व्यक्तिगत दक्षता व योग्यता को कभी भी पूंजी नहीं माना जा सकता क्योंकि उनमें हस्तांतरण ी यता की कमी होती है और उनके मापन में, कठिनाई होती है। लेकिन यह तर्क सैद्धांतिक ना होकर वह व्यव्हरआतमक है।
Accountants of opinion:
जैसा कि अन्यत्र बताया गया है, लेखापाल को ने भी प्रारंभ में मानव संसाधन को पूंजी या संपत्ति नहीं माना और इसे कभी भी खाता बही हो वह वित्तीय विवरणों में नहीं दिखाया इसके लिए कई कारण उत्तरदाई थे-
1 व्यक्तियों को संपत्ति के रूप में समझना वह खातों में दर्शना सरल नहीं है; परिभाषा के अनुसार संपत्ति वह है जिसे हस्तांतरित ना किया जा सके और संस्था की संपत्ति पर जिनका कोई मूल्य हो, परंतु व्यक्तियों को बेचा नहीं जा सकता और ना ही व्यवसाय की समाप्ति पर इनका कोई मूल्य होता है और जो संपत्ति नोटिस देकर संस्था को छोड़ दे उसे किसी भी माने में संपत्ति नहीं कह सकते हैं।
2 प्रारंभ से ही संपूर्ण लेखा पद्धति अंश धारियों सरकार, बाह्य व्यक्तियों के प्रति सेवा अर्पण का कार्य कर रही है; आंतरिक प्रबंधक को सूचना प्रदान करने का नहीं। फल स्वरुप मानव संसाधन के उसी अंग का लेखा रखा जाता रहा है, जो उनके द्वारा अर्पित सेवा के बदले में किए गए भुगतान। वेतन व मजदूरी से संबंधित रहा हो।
3 मानव संसाधन के लागत व मूल्य की मापन संबंधी कठिनाइयों के कारण भी इन्हें संपत्ति नहीं माना गया।
परंतु हाल ही में लेखा पालक के दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ है। और वर्तमान काल में व्यवसायिक संस्थाओं द्वारा कर्मचारियों की भर्ती, प्रशिक्षण आदि पर किया गया वह विनियोग है ना कि अयगत व्यय।
कर्मचारियों की भर्ती प्रशिक्षण व उसके विकास पर बड़ी मात्रा में धन खर्च किया जा रहा है जिसके पीछे उद्देश्य यही है कि योग्य व कुशल व्यक्तियों से संस्था को भविष्य में सतत रूप में लाभ मिलता रहेगा।
चुकी संस्था को एक सतत चलने वाली इकाई माना गया है, अतः मानवीय संसाधनों के विकास पर किए गए खर्च से प्राप्त भाभी लाभ के कारण इस वीडियो को संपत्ति माना जा सकता है इस प्रकार वर्तमान में लेखांकन विशेषज्ञों द्वारा मानव संसाधन को संपत्ति की मान्यता प्रदान की गई है।
Definition of Human Resource accounting
According to the American association of accounts(AAA)
" मानव संसाधन लेखांकन मानव के बारे में डाटा को पहचानने और मापने की एक प्रक्रिया है और इस जानकारी को इच्छुक पार्टियों तक पहुंचाता है।"
According to Flamholtz
" मानवीय संसाधन लेखांकन संगठन के लिए व्यक्तियों की लागत वह मूल्य का मापन है।"
According to Stefan Knauf
" मानव संसाधन लेखांकन मानव संगठनात्मक इनपुट्स की भर्ती और मापन है जैसे की भर्ती ,प्रशिक्षण , अनुभव और प्रतिबद्धता।"
According to MN Baker
" Human resource accounting शब्द, लेखा पैसे द्वारा उनके नियोजित संगठन के लिए कर्मचारियों की लागत और मूल्य निर्धारित करने के लिए है। "
Meaning of Human Resource Accounting
मानवीय संसाधन लेखांकन को एक ऐसी लेखांकन पद्धति के रूप में माना जाता है, जिनके प्रयोग से मानवीय संसाधन को संपत्ति के रूप में मान्यता प्रदान की जाती हो और भौतिक संसाधनों की भांति जिनके मूल्य को माफ कर लेखा पुस्तकों में दर्ज किया जाता है। इसके माध्यम से मानवीय संसाधनों के संबंध में बहुमूल्य सूचनाओं का सृजन व प्रस्तुतीकरण किया जाता है।
Human resource accounting is defined as:
* The art of valuing
* Recording
* Presenting systematically
* The worth of human resource in the books of account of an organisation.
मानव संसाधन को महत्वपूर्ण संपत्ति माना जाता है और भौतिक संपत्ति से अलग होता है। भौतिक संपत्ति में भावनाएं नहीं होती है, जबकि मानव संपत्ति विभिन्न प्रकार की भावनाओं के अधीन होती है। उसी तरह भौतिक संपत्ति के विपरीत मानव संपत्ति का कभी भी ह्रास मूल्य नहीं होता।
इसलिए किसी संगठन की कुल लागत का पता लगाने के लिए अन्य संपत्तियों के साथ मानव संसाधनों के मूल्यांकन की भी आवश्यकता होती है। 1960 के दशक में अन्य सामाजिक शोधकर्ताओं के साथ Rensis Likert ने मानव संसाधन लेखांकन की अवधारणा को परिभाषित करने का प्रयास किया।
Introduction of human resource Accounting
मानव संसाधन लेखांकन का परिचय
प्रत्येक वेबसाइट संस्था में दो प्रकार की संसाधनों का प्रयोग किया जाता है।
भौतिक व वित्तीय संसाधन
मानवीय संसाधन
भौतिक व वित्तीय संसाधन की अधिग्रहण प्रयोग व उससे प्राप्त परिणाम की स्पष्ट झलक वित्तीय विवरण में मिलती है क्योंकि परंपरागत लेखांकन विधि पूर्णता है इसका अभी लेखन करती है। परंतु मानवीय संसाधनों के अधिग्रहण और उससे प्राप्त परिणामों को लेखांकन में कोई स्थान नहीं मिल पाया था हालांकि उनके प्रयोग संबंधी व्ययो जैसे वेतन मजदूरी आदि को लाभ हानि खाता में दर्शाया जाता रहा है मानवीय संसाधन को चिट्ठे में ना दिखाने का मूल कारण यही रहा कि इसे पूंजी या संपत्ति के रूप में मान्यता नहीं मिल पाई थी।
वित्तीय विवरण के सीमाओं के संबंध में किसी अज्ञात बंधुओं ने लिखा है:
One asset is omitted and it's worth I want to know,
The acid is the value of men who run the show.
इस प्रकार वित्तीय विवरण में व्यवसाय का संचालन करने वाले व्यक्तियों के मूल्य को पर्याप्त नहीं दर्शाया जाता है यद्यपि व्यवसाय की सफलता पर्याप्त सीमा तक इन्हीं व्यक्तियों की कुशलता योग्यता और शक्ति पर निर्भर करती है।
E.H. CARPLAN ने लिखा है कि, " व्यक्ति एक संगठन के लिए महत्वपूर्ण संपत्ति है फिर भी इस संपत्ति का मूल्य वित्तीय विवरण में नहीं दिखाई देता है"
People are the most important asset of an organisation and yet, the value of its asset does not appear in the financial statements.
परंपरागत लेखांकन की इस कमी को पूरा करने के लिए लेखापाल को द्वारा किए गए प्रयास का फल ही HRA है।
एक संगठन के अंदर प्रत्येक व्यक्ति का ज्ञान कौशल योग्यता एटीट्यूड और विश्वास उस संगठन की संपत्ति होता है इसे ही HRA कहते हैं।
बहुत सारे विद्यार्थियों को समझ नहीं आता की दसवीं के बाद कौन सा सब्जेक्ट 11वीं में चुने। तो यहां पर बात आती है साइंस आर्ट्स एंड कॉमर्स की।
जैसा की आप लोगों को पता होगा कि साइंस में रसायन विज्ञान जीव विज्ञान और भौतिक विज्ञान होते हैं
आर्ट्स में इतिहास राजनीतिक शास्त्र अर्थशास्त्र भूगोल दर्शनशास्त्र मनोविज्ञान एवं सभी भाषाएं यह सभी आते है।
यहां पर दिक्कत यह आती है कि बहुत से स्टूडेंट ऐसे हैं जो कॉमर्स सब्जेक्ट का नाम पहली बार सुन रहे होंगे उन्हें लग रहा होगा कि आखिर यह सब्जेक्ट है क्या?
इनमें कौन कौन सा सब्जेक्ट होता है इसमें क्या क्या पढ़ना होता है इन से आगे क्या क्या कर सकते हैं तो इन तमाम सवालों का जवाब आज आपको मिलने वाला है।
देखिए जैसा कि आप लोगों को मैं बताना चाहूंगा की कॉमर्स संकाय में लेखाशास्त्र अर्थशास्त्र व्यवसायिक अध्ययन उद्यमिता एवं हिंदी अंग्रेजी आते हैं।
इन सभी विषयों में क्या क्या पढ़ना होता है नीचे दिए गए वीडियो पर आप क्लिक करके समझ सकते हैं उनमें अच्छी प्रकार से इन विषयों के बारे में बताया गया है।
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Ek bar video dekhiye pura samjh aayega
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